Computer Software की विस्तृत जानकारी : सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए निर्देशों अर्थात् प्रोग्रामों की वह श्रृंखला है, जो कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियन्त्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयरों के बीच समन्वय स्थापित करता है, ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके। इसका प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है। सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर कार्य करता है। इसे प्रोग्रामों का समूह भी कहते हैं। कम्प्यूटर से सम्बन्धित किसी भी तरह के प्रोग्राम को हम सॉफ्टवेयर कह सकते हैं।
सॉफ्टवेयर के प्रकार
सॉफ्टवेयर मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
- सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
- एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)
सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
जो प्रोग्राम कम्प्यूटर को चलाने, उसको नियन्त्रित करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का अच्छे से उपयोग करने के लिए लिखे जाते हैं, उनको सम्मिलित रूप से ‘सिस्टम सॉफ्टवेयर’ (System software) कहा जाता है। सामान्यतः सिस्टम सॉफ्टवेयर्स कम्प्यूटर के निर्माता द्वारा ही उपलब्ध कराये जाते है।
कम्प्यूटर से हमारा सम्पर्क या संवाद सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही हो पाता है। वास्तव में, सिस्टम सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर से सीधा सम्पर्क सम्भव नहीं है, इसलिए सिस्टम सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता की सुविधा के लिए ही बनाया जाता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर में वे प्रोग्राम्स शामिल होते हैं, जो कम्प्यूटर सिस्टम को नियन्त्रित (Control) करते हैं और उसके विभिन्न भागों के बीच उचित तालमेल बनाकर कार्य कराते हैं।
इसके द्वारा हम कम्प्यूटर को सरलतापूर्वक तथा अच्छी प्रकार से चला सकते है। इसका प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। यह आकार में बहुत बड़ा तथा संरचना में अत्यधिक जटिल होता है, जिस कारण इसके निर्माण के लिए कम्प्यूटर की संरचना का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
इनके द्वारा हमें निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त होती हैं:
- प्रयोगकर्ता कम्प्यूटर से सम्बन्ध स्थापित कर सकता है।
- हम आवश्यकता के समय अन्य प्रोग्राम भी चला सकते हैं।
- इनकी सहायता से हम कम्प्यूटर से जुड़ी अन्य युक्तियों (Peripheral devices); जैसे- प्रिन्टर (Printer), (Scanner) व टेप ड्राइव (Tape Drive) आदि से सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं।
- हम अन्य प्रोग्रामों का निर्माण भी कर सकते हैं।
- हम हार्डवेयर्स, जैसे- सी०पी०यू० व स्मृति (Memory) आदि पर भी नियन्त्रण रख सकते हैं।
कार्यों के आधार पर सिस्टम सॉफ्टवेयर को दो भागों में बाँटा गया है:
- सिस्टम मैनेजमेन्ट प्रोग्राम (System Management Program)
- सिस्टम यूटिलिटीज (System Utilities)
सिस्टम मैनेजमेन्ट प्रोग्राम (System Management Program)
ये वे प्रोग्राम होते हैं, जो सिस्टम का प्रबन्धन (Management) करने के काम आते हैं। इन प्रोग्राम्स का प्रमुख कार्य इनपुट, आउटपुट तथा मैमोरी युक्तियों और प्रोसेसर के विभिन्न कार्यों का प्रबन्धन करना है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रकार
सिस्टम सॉफ्टवेयर विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं जैसे:
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)
- डिवाइस ड्राइवर्स (Device Drivers)
- लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Language Translator)
- सिमुलेटर्स (Simulators)
- डी०बी०एम०एस (DBMS)
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)
यह एक विशेष प्रकार का प्रोग्राम होता है, जो कम्प्यूटर के समय स्रोतों पर नियन्त्रण रखता है तथा उनका प्रबन्धन करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) वह प्रोग्राम होता है, कम्प्यूटर का स्विच ऑन (On) होते ही, कम्प्यूटर की मैमोरी में लोड (load) हो जाता है तथा कम्प्यूटर की समस्त क्रियाओं की नियन्त्रित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम ही वह प्रोग्राम है, जो कम्प्यूटर तथा प्रयोगकर्ता के मध्य सेतु की भाँति कार्य कर, इनके बीच में सम्बन्ध स्थापित करता है।ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामों को प्रोग्राम्स चालू करता है, विशेष सेवाएँ देने वाले प्रोग्रामों का मशीनी भाषा में अनुवाद करता है और उपयोगकर्ताओं की इच्छा के अनुसार आउटपुट निकालने के लिए डाटा का प्रबन्धन करता है।
MS-DOS, विण्डोज XP/2000/98, यूनिक्स, लाइनक्स इत्यादि ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ उदाहरण हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य
ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य इस प्रकार हैं:
- कम्प्यूटर तथा उसके उपयोगकर्ता के बीच संवाद (Communication) स्थापित करना ।
- कम्प्यूटर के सभी उपकरणों को नियन्त्रण में रखना तथा उनसे काम लेना।
- उपयोगकर्ता द्वारा दिए प्रोग्रामों का पालन कराना।
- सभी प्रोग्रामों के लिए आवश्यक साधन (मैमोरी, सीपीयू, प्रिण्टर आदि) उपलब्ध कराना ।
ऑपरेटिंग सिस्टम को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है, परन्तु इनको वर्गीकृत करने का मुख्य आधार इन ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा प्रयोगकर्ताओं की संख्या को प्रदान की जाने वाली सुविधा है। कोई ऑपरेटिंग सिस्टम कितने प्रयोगकर्ताओं को कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है, इसके आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
- सिंगल यूज़र (Single User)
- मल्टी यूज़र (Multi User )
डिवाइस ड्राइवर्स (Device Drivers)
डिवाइस ड्राइवर्स छोटे, विशेष उद्देश्य वाले सॉफ्टवेयर होते हैं, जो किसी डिवाइस के प्रचालन (Operation) को समझाते हैं। ये पेरिफेरल डिवाइस (Peripheral device) के निर्माता द्वारा बनाए जाते हैं। ये सॉफ्टवेयर किसी डिवाइस तथा उपयोगकर्ता के मध्य इण्टरफेस (Interface) का कार्य करते हैं। किसी भी डिवाइस को सुचारु रूप से चलाने के लिए चाहे वो प्रिण्टर, माउस, मॉनीटर या कीबोर्ड ही हो, उसके साथ एक ड्राइवर प्रोग्राम जुड़ा होता है। डिवाइस ड्राइवर्स निर्देशों का ऐसा समूह होता है जो हमारे कम्प्यूटर का परिचय उससे जुड़ने वाले हार्डवेयरों से करवाते हैं।
इनके उदाहरण हैं- प्रिन्टर ड्राइवर (Printer driver) व माउस ड्राइवर (Mouse driver) आदि।
लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Language Translator)
ये ऐसे प्रोग्राम हैं, जो विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं में लिखे गए प्रोग्रामों का अनुवाद कम्प्यूटर की मशीनी भाषा (Machine Language) में करते हैं। यह अनुवाद कराना इसलिए आवश्यक होता है, क्योंकि कम्प्यूटर केवल अपनी मशीनी भाषा में लिखे हुए प्रोग्राम का ही पालन कर सकता है।
भाषा अनुवादकों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है:
- असेम्बलर (Assembler)
- इन्टरप्रेटर (Interpreter)
- कम्पाइलर (Compiler)
असेम्बलर (Assembler)
यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है, जो असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे गए किसी प्रोग्राम को पढ़ता है और उसका अनुवाद मशीनी भाषा में कर देता है। असेम्बली भाषा के प्रोग्राम को सोर्स प्रोग्राम (Source Program) कहा जाता है। इसका मशीनी भाषा में अनुवाद करने के बाद जो प्रोग्राम प्राप्त होता है, उसे ऑब्जेक्ट प्रोग्राम (Object Program) कहा जाता है।
असेम्बलर मुख्यतः निम्नलिखित कार्य करता है—
- यह असेम्बली भाषा में लिखित स्रोत प्रोग्राम (Source Program) को मशीन कोड (Machine code) में बदलने के साथ-साथ सांकेतिक एड्रेस (Symbolic Address) को भी वास्तविक मशीनी एड्रेस में बदलता है।
- यह प्राथमिक स्मृति में, प्रोग्राम के लिए स्थान आरक्षित करता है।
- यह स्रोत प्रोग्राम (Source Program) में उपस्थित अमान्य निर्देशों (Invalid Instructions) को बताता है।
- ऑब्जेक्ट प्रोग्राम (Object Program) को डिस्क अथवा टेप पर संगृहीत करता है।
इन्टरप्रेटर (Interpreter)
इन्टरप्रेटर एक अनुवादक प्रोग्राम है, जिसका प्रयोग उच्च स्तरीय भाषा [High Level Language (HLL)] को मशीनी भाषा में बदलने के लिए किया जाता है। यह HLL में लिखे प्रोग्राम के एक कथन पर क्रम कार्य करता है तथा उसको मशीनी भाषा में अनुवादित कर उसका क्रियान्वयन (execution) करता है। जब एक कथन का क्रियान्वयन (execution) हो जाता है, तब यह इससे अगले कथन पर कार्य करता है और उसका मशीनी भाषा में अनुवाद करता है तथा उसका क्रियान्वयन (execution) करता है। यह क्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक कि प्रोग्राम का अन्त नहीं हो जाता। यदि इस क्रिया के अन्तर्गत, किसी कथन में कोई त्रुटि ( error) आ जाती है तो यह कथन का अनुवाद करने व क्रियान्वित (execute) करने की क्रिया को वहीं रोककर, प्रोग्रामर को पहले इस त्रुटि को दूर करने (सही करने) के लिए कहता है। यह तक आगे नहीं बढ़ता, जब तक कि प्रोग्रामर उस त्रुटि को दूर न कर दे।
कम्पाइलर (Compiler)
यह एक अन्य प्रकार का अनुवादक प्रोग्राम (Translator Program) है, जो HLL को मशीनी भाषा में बदलता है। यह HLL में लिखे प्रोग्राम के एक-एक कथन को अनुवादित (translate) व क्रियान्वित ( execute) न करके, सम्पूर्ण प्रोग्राम को एक ही बार में, मशीनी भाषा में अनुवादित करता है। यदि प्रोग्राम में कहीं कोई त्रुटि होती है यह प्रोग्राम की त्रुटियों की एक सूची ( list) प्रोग्रामर के समक्ष प्रदर्शित कर देता है। अनुवादन-क्रिया के माध्यम से यह स्रोत प्रोग्राम (Source Program – HLL में लिखे प्रोग्राम) के तुल्य ऑब्जेक्ट प्रोग्राम (Object Program) को बनाता है जिसको Object फाइल कहते हैं। प्रत्येक उच्च स्तरीय भाषा के लिए एक अलग कम्पाइलर की आवश्यकता होती है।
कम्पाइलर निम्नलिखित कार्य करता है:
- स्रोत प्रोग्राम (Source Program) को मशीनी भाषा में बदलता है।
- यदि प्रोग्राम अलग-अलग टुकड़ों में होता है तो उनको आपस में सम्बद्ध (link) करता है।
- प्रोग्राम के लिए, मुख्य स्मृति (Main Memory) में स्थान बनाता है।
- डिस्क या चुम्बकीय टेप पर ऑब्जेक्ट फाइल (Object file) को बनाता है।
- स्रोत प्रोग्राम (Source Program) में उपस्थित त्रुटि की सूची बनाकर, उसे प्रोग्रामर के समक्ष प्रस्तुत करता है।
सिमुलेटर्स (Simulators)
ये वे सिस्टम सॉफ्टवेयर होते हैं, जो सिमुलेशन (Simulation) की सुविधा प्रदान करते हैं। सिमुलेशन एक ऐसी तकनीक होती है, जिसमें कम्प्यूटर किसी वास्तविक वस्तु का गणितीय मॉडल बना देता है और उसका परीक्षण करता है। सिमुलेटर्स (Simulators) के द्वारा उन मूर्त अथवा अमूर्त सिस्टम्स के सम्पूर्ण अथवा आंशिक व्यवहार को मॉनिटर पर निरूपित किया जाता है, जिनका प्रत्यक्ष प्रयोग; संकटमय, बहुव्ययी, अव्यावहारिक अथवा अनैतिक हो ।
डी०बी०एम०एस (DBMS)
यह सॉफ्टवेयर डाटा को कम्प्यूटर में व्यवस्थित क्रम में संगृहीत करता है। इस प्रणाली में हम सम्बन्धित सूचनाओं का संकलन तथा प्रबन्धन करते हैं। इसके द्वारा हम संगृहीत डाटा में इच्छानुसार परिवर्तन कर सकते हैं; जैसे—नया डाटा जोड़ना, डाटा को विशेष क्रम में लगाना, अवांछनीय डाटा को हटाना तथा आवश्यकता के अनुसार जानकारी प्राप्त करना। इसके प्रमुख उदाहरण, फॉक्सप्रो (FoxPro), एम०एस० एक्सेस (MS-Access) आदि हैं।
सिस्टम यूटिलिटीज (System Utilities)
ये प्रोग्राम कम्प्यूटर के रख-रखाव से सम्बन्धित कार्य करते हैं। ये प्रोग्राम्स कम्प्यूटर के कार्यों को सरल बनाने, उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं। इनको सर्विस प्रोग्राम (Service Program) भी कहते हैं। यूटिलिटी प्रोग्राम कई ऐसे कार्य करते हैं, जो कम्प्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने पड़ते हैं, जैसे कोई यूटिलिटी प्रोग्राम हमारी फाइलों का बैकअप किसी बाहरी भण्डारण साधन पर लेने का कार्य कर सकता है। ये सिस्टम सॉफ्टवेयर के अनिवार्य भाग नहीं होते, परन्तु सामान्यतः उसके साथ ही आते हैं और कंप्यूटर के निर्माता द्वारा ही उपलब्ध कराए जाते हैं।
इनके उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- डिस्क कम्प्रेशन (Disk Compression)
- डिस्क फ्रेग्मेण्टर (Disk Fragmenter)
- बैकअप यूटिलिटीज (Backup Utilities)
- डिस्क क्लीनर्स (Disk Cleaners)
- टेक्स्ट एडिटर (Text Editor)
- वायरस स्कैनर एवं रिमूवर (Virus Scanner and Remover
डिस्क कम्प्रेशन (Disk Compression)
ये हार्ड डिस्क पर उपस्थित सूचना पर दवाव डालकर उसे संकुचित (Compressed) कर देता है, ताकि हार्ड डिस्क पर अधिक-से-अधिक सूचना स्टोर की जा सके। यह यूटिलिटी स्वयं अपना कार्य करती रहती है तथा जरूरी नहीं कि उपयोगकर्ता को इसकी उपस्थिति की जानकारी हो।
उदाहरण: डिस्क डवलर, सुपरस्टार प्रो, डबलडिस्क गोल्ड।
डिस्क फ्रेग्मेण्टर (Disk Fragmenter)
यह कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क पर विभिन्न जगहों पर बिखरी हुई फाइलों को सर्च करके उन्हें एक स्थान पर लाता है। इसका प्रयोग फाइलों तथा हार्ड डिस्क की खाली पड़ी जगह को व्यवस्थित करने में होता है।
उदाहरण : माई डिफ्रेग, डिस्कीपर, डिफ्रेगलर आदि ।
बैकअप यूटिलिटीज (Backup Utilities)
यह कम्प्यूटर की डिस्क पर उपस्थित सारी सूचना की एक कॉपी रखता है तथा जरूरत पड़ने पर कुछ जरूरी फाइलें या पूरी हार्ड डिस्क की सामग्री वापस रिस्टोर (Restore) कर देता है।
डिस्क क्लीनर्स (Disk Cleaners)
ये उन फाइलों को ढूँढ़कर लि डिलीट (Delete) करता है, जिनका बहुत समय से उपयोग नहीं हुआ है। इस प्रकार ये कम्प्यूटर की गति को भी तेज करता है।
उदाहरण: ब्लीच बीट क्लीनर आदि ।
टेक्स्ट एडिटर (Text Editor)
यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है में जो टेक्स्ट फाइलों के निर्माण और उनके सम्पादन की सुविधा देता है। इसका प्रयोग केवल टेक्स्ट टाइप करने में या किसी प्रोग्राम के लिए डाटा तैयार करने में किया जाता है।
उदाहरण: एम एस वर्ड, वर्ड पैड, नोटपैड, जिसमें नोटपैड सबसे प्रसद्धि टेक्स्ट एडिटर है।
वायरस स्कैनर एवं रिमूवर (Virus Scanner and Remover)
वायरस स्कैनर एवं रिमूवर वे प्रोग्राम होते है, जो हमारे कम्प्यूटर में वायरस को तलाश कर उसे समाप्त करने का कार्य करते हैं। वायरस बायोलॉजिकल वायरस न होकर, कुछ विशेष प्रोग्राम होते हैं, जिनके द्वारा अनेक प्रकार की हानियों का सामना भी करना पड़ जाता है। वायरस द्वारा हमारे कम्प्यूटर के संक्रमित होने की सम्भावना उस समय रहती है जब हम किसी ऐसे फ्लॉपी या सी०डी० को अपने कम्प्यूटर में लगाते है जिसमें वायरस हो या हम इन्टरनेट (Internet) पर कार्य कर रहे हैं। वायरस स्कैनर (Virus Scanner) प्रोग्राम विभिन्न प्रकार के वायरस को कम्प्यूटर में तलाश करता है तथा वायरस रिमूवर इन वायरस को नष्ट करता है। सामान्यतः वायरस स्कैनर व वायरस रिमूवर अलग-अलग प्रोग्राम होते हैं, परन्तु कुछ प्रोग्राम ऐसे भी होते हैं, जो वायरस स्कैनिंग व वायरस रिमूविंग की सुविधा एक साथ प्रदान करते हैं।
उदाहरण: अवीरा, केस्परस्काई, एवीजी, मैक की आदि।
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर एक या एक से अधिक प्रोग्रामों का ऐसा समूह होता है, जिसको किसी विशेष कार्य के सम्पादन के लिए बनाया जाता है। जैसे- कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन की गणना करना, सभी लेन-देन तथा खातों का हिसाब-किताब रखना विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट प्रिण्ट करना, स्टॉक की स्थिति का विवरण देना, पत्र- डॉक्यूमेण्ट तैयार करना इत्यादि ।
इनका प्रयोग सामान्य तथा सीमित होता है। इनका प्रयोग सिस्टम सॉफ्टेवयर के साथ ही किया जाता है। इनके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम आते हैं, जो या तो प्रयोगकर्ता द्वारा बनाए जाते हैं या बने-बनाए (Readymade) बाजार में उपलब्ध होते हैं।
उदाहरण: एम एस वर्ड (MS Word), एम एस-एक्सेल (MS Excel), टैली, कोरल ड्रॉ, पेजमेकर, फोटोशॉप आदि।
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के प्रकार
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं:
- सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर (General Purpose Software)
- विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर (Specific Purpose Software)
सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर (General Purpose Software)
प्रोग्रामों का वह समूह, जिन्हें उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकतानुसार अपने सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग में लाते हैं, सामान्य उद्देश्य के सॉफ्टवेयर कहलाते हैं। ये सॉफ्टवेयर विशेष कार्यों से , सम्बन्धित होते हैं, परन्तु इनका उद्देश्य केवल सामान्य कार्य करने के लिए होता है। जिसके कारण ये सॉफ्टवेयर लगभग हर क्षेत्र, हर संस्था तथा कार्यालय है में दैनिक रूप से उपयोग में लाए जाते हैं।
कुछ सामान्य उद्देश्य के सॉफ्टवेयर निम्न हैं:
- वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (Word Processing Software)
- इलेक्ट्रॉनिक स्प्रैडशीट्स (Electronic Spreadsheets)
- प्रेजेण्टेशन सॉफ्टवेयर (Presentation Software)
- डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम (Database Management System)
- डेस्कटॉप पब्लिशिंग सॉफ्टवेयर (Desktop Publishing Software)
- ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर (Graphics Software)
- मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर (Multimedia Software)
वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (Word Processing Software)
वर्ड प्रोसेसर एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर है, जिसकी सहायता से टेक्स्ट या दस्तावेज (Document) को संचालित किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर डॉक्यूमेन्ट प्रीप्रेशन सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है। यह सॉफ्टवेयर प्रिण्ट होने वाले मैटीरियल की कंपोजीशन, एडिटिंग, फॉर्मेटिंग और प्रिण्टिंग आदि के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर में बनाए गए डॉक्यूमेन्ट्स को भविष्य में उपयोग करने के लिए सुरक्षित (Save) कर दिया जाता है तथा भविष्य में भी इन डॉक्यूमेन्ट्स में बदलाव किया जा सकता है। वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर, आज के समय में सर्वाधिक प्रयोग होने वाला सॉफ्टवेयर है।
इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट्स (Electronic Spreadsheets)
इस सॉफ्टवेयर के द्वारा उपयोगकर्ता अपने डाटा को ‘रो’ तथा ‘कॉलम’ (Row and Column) के रूप में व्यवस्थित कर सकते हैं। ये रोज और कॉलम्स सामूहिक रूप से स्प्रेडशीट कहलाते हैं। इन सॉफ्टवेयरों में अधिकतर स्प्रेडशीट बनाने, उन्हें सेव, एडिट और फॉर्मेट करने के फीचर होते हैं।
उदाहरण: माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल, कोरल क्वाटरो प्रो, लोटस 1-2-3, OpenOffice.org Calc आदि ।
प्रेजेण्टेशन सॉफ्टवेयर (Presentation Software)
प्रेजेण्टेशन का अर्थ है-अपने विचार, संदेश तथा अन्य सूचना को एक ऐसे सरल रूप में किसी ग्रुप के सामने प्रस्तुत करना, जिससे उस ग्रुप को वह सूचना आसानी से समझ आ सके। प्रेजेण्टेशन सॉफ्टवेयर इसी उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाता है जो सूचना को स्लाइड के रूप ये में प्रदर्शित करता है।
उदाहरण: माइक्रोसॉफ्ट पावरप्वॉइण्ट, कोरल प्रेजेण्टेशनस इत्यादि ।
डाटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम (Database Management System)
ऑर्गेनाइज्ड डाटा का ऐसा संग्रह (Collection), जिसमें जरूरत पड़ने पर डाटा को एक्सेस (Access), रिट्रीव (Retrieve) तथा फॉर्मेट (Format) किया जा सके, डाटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम (DBMS) कहलाता है। इस सॉफ्टवेयर का कार्य डेटाबेस को क्रिएट, एक्सेस और मैनेज करना होता है। इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके डाटाबेस में डाटा को जोड़ा जा सकता है, सुधारा जा सकता है और डिलीट किया जा सकता है। साथ-ही-साथ डाटा को व्यवस्थित तथा रिट्रीव (Sort and Retrieve) भी किया जा सकता है।
उदाहरण: माइक्रोसॉफ्ट एक्सेस, कोरल पैराडॉक्स, लॉटस एप्रोच, ओरेकल आदि।
डेस्कटॉप पब्लिशिंग सॉफ्टवेयर (Desktop Publishing Software)
इन सॉफ्टवेयर्स का प्रयोग ग्राफिक डिजाइनरों द्वारा किया जाता है। इन सॉफ्टवेयरों का प्रयोग डेस्कटॉप प्रिण्टिंग तथा ऑन स्क्रीन इलेक्ट्रॉनिक पब्लिशिंग के लिए किया जाता है।
उदाहरण: क्वार्क एक्सप्रेस, एडोब पेजमेकर, 3B2, कोरल ड्रॉ – आदि।
ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर (Graphics Software)
ये सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर पर पड़ी इमेज में बदलाव करने और उन्हें सुन्दर बनाने की अनुमति देते हैं। इन सॉफ्टवेयर्स के द्वारा इमेजिस (Images) को रीटच (Retouch), कलर एडजस्ट (Color adjust ), एनहैन्स (Enhance), शैडो (Shadow) व ग्लो (Glow) जैसे विशेष इफैक्ट्स दिए जा सकते हैं।
उदाहरण: एडोब फोटोशॉप, पिज़ाप (PiZap) आदि ।
मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर (Multimedia Software)
टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो, इमेजिस तथा एनीमेशन आदि के संयोजन को मल्टीमीडिया कहते हैं। वे सॉफ्टवेयर जो ये सारी सुविधा प्रदान करते हैं मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर कहलाते हैं।
उदाहरण: वीएलसी मीडिया प्लेयर, निमबज़ज ( Nimbuzz ) आदि ।
विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर (Specific Purpose Software)
ये सॉफ्टवेयर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाए जाते हैं। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का अधिकांशतः केवल एक उद्देश्य होता है। सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले कुछ विशिष्ट उद्देशीय सॉफ्टवेयर निम्न हैं:
- इनवेन्टरी मैनेजमेन्ट सिस्टम एण्ड परचेजिंग सिस्टम (Inventory Management System and Purchasing System)
- पेरोल मैनेजमेन्ट सिस्टम (Payroll Management System)
- होटल मैनेजमेन्ट सिस्टम (Hotel Management System)
- रिज़र्वेशन सिस्टम (Reservation System)
- रिपोर्ट कार्ड जनरेटर (Report Card Generator)
- एकाउण्टिंग सॉफ्टवेयर ( Accounting Software)
- बिलिंग सिस्टम (Billing System)
इनवेन्टरी मैनेजमेन्ट सिस्टम एण्ड परचेजिंग सिस्टम (Inventory Management System and Purchasing System)
इस प्रकार के सॉफ्टवेयर अधिकतर जनरल स्टोर्स या ऐसे संस्थानों में उपयोग किए जाते हैं, जिनमें भौतिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। किसी स्टॉक में उपस्थित वस्तुओं (Goods) की सूची को ‘इनवेन्टरी’ कहते हैं।
उदाहरण: फिश बाउल, एडवांस प्रो आदि।
पेरोल मैनेजमेन्ट सिस्टम (Payroll Management System)
आधुनिक समय में, लगभग प्रत्येक संस्थान के द्वारा अपने कर्मचारियों के वेतन तथा अन्य भत्तों का हिसाब रखने के लिए इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण: नेमली, एल्टीप्रो आदि।
होटल मैनेजमेन्ट सिस्टम (Hotel Management System)
होटलों के विभिन्न कार्यों को व्यवस्थित करना ही होटल मैनेजमेन्ट कहलाता है। इसके अन्तर्गत मार्केटिंग, हाउसकीपिंग, बिलिंग, एडमिनिस्ट्रेशन जैसे कार्य आते हैं।
उदाहरण: अतिथी HMS, आदि।
रिज़र्वेशन सिस्टम (Reservation System)
रिज़र्वेशन सिस्टम या सेण्ट्रल रिजर्वेशन सिस्टम एक ऐसा कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम है, जिसके प्रयोग से उपयोगकर्ता ट्रेन या वायु यातायात के बारे में विभिन्न जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त इस सॉफ्टवेयर के द्वारा ट्रेन या हवाई जहाज आदि में उपलब्ध सीटों, वर्थों (Berths) या टिकटों के बारे में विभिन्न जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
उदाहरण: Makemytrip.com
रिपोर्ट कार्ड जनरेटर (Report Card Generator)
इस प्रकार के सॉफ्टवेयर्स का प्रयोग विभिन्न स्कूलों या कॉलेजों के एक्जामिनेशन (Examination) विभाग द्वारा विद्यार्थियों के परीक्षाफल (Results) तैयार करने में किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर विभिन्न गणितीय गणनाएँ (Mathematical calculations) करता है और जाँच करता है कि विद्यार्थी (Student) अपनी कक्षा की परीक्षा में पास हुआ या फेल।
एकाउण्टिंग सॉफ्टवेयर ( Accounting Software)
यह सॉफ्टवेयर एक ऐसा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है, जो विभिन्न खातों के लेन-देन का लेखा-जोखा रखता है। यह सॉफ्टवेयर लेखांकन (Accounting) की जानकारियाँ रखता है।
लेखांकन सॉफ्टवेयर कई प्रकार के होते हैं
- देय खाता सॉफ्टवेयर
- बैंक समाधान सॉफ्टवेयर
- बजट प्रबन्धन सॉफ्टवेयर
उदाहरण: टैली ERP9, प्रोफीट बुक्स आदि ।
बिलिंग सिस्टम (Billing System)
ये एक प्रकार का सॉफ्टवेयर है जो बिलों (Bills) की प्रक्रिया को पूरा करता है। ये उन वस्तुओं तथा सेवाओं (Services) के मूल्य की जाँच करता है, जो किसी ग्राहक को प्रदान किए जाते हैं।
उदाहरण: बिलिंग मैनेजर, बिलिंग ट्रेकर आदि।